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बस्ती मंडल में रबी सीजन के लिए उर्वरकों की भरपूर उपलब्धता ,किसानों को चिंता की नहीं जरूरत, कृषि विभाग ने किया आश्वस्त

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बस्ती -सार्थक टाइम्स
रबी सीजन की तैयारियों के बीच किसानों के लिए राहत भरी खबर आई है। बस्ती मंडल में इस बार डी.ए.पी., एन.पी.के., टी.एस.पी., एस.एस.पी. और यूरिया जैसे प्रमुख उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कर दी गई है। संयुक्त कृषि निदेशक राम बचन राम ने बताया कि मंडल के तीनों जिलों — बस्ती, संतकबीरनगर और सिद्धार्थनगर — में खाद की कोई कमी नहीं है।


उन्होंने बताया कि खरीफ फसलों की कटाई अब अपने चरम पर है और इसी के साथ रबी फसलों की बुवाई तेजी से प्रारंभ हो चुकी है। इस समय परंपरागत रूप से डी.ए.पी. (डायमोनियम फॉस्फेट) की मांग अधिक होती है, लेकिन किसानों से अपील की गई है कि वे एन.पी.के. 20:20:0:13, 12:32:16, 10:26:26, टी.एस.पी. (ट्रिपल सुपर फास्फेट) और एस.एस.पी. (सिंगल सुपर फास्फेट) जैसे वैकल्पिक उर्वरकों का भी प्रयोग करें, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की उपज दोनों बनी रहें।
संयुक्त कृषि निदेशक राम बचन राम ने बताया कि डी.ए.पी. की अपेक्षा एन.पी.के. और एस.एस.पी. ज्यादा घुलनशील होते हैं, जिससे पौधों को पोषक तत्व तुरंत उपलब्ध हो जाते हैं और उनका क्षरण नहीं होता। इन उर्वरकों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश के साथ आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं, जो पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और दानों में अच्छी चमकगुणवत्ता लाते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रतिकूल मौसम के दौरान ऐसी फसलें अधिक टिकाऊ रहती हैं। रबी सीजन की प्रमुख फसलें — गेहूं, सरसों, आलू, मटर और चना — इन उर्वरकों से बेहतर परिणाम देती हैं। मंडल में उर्वरकों की स्थिति (दिनांक 28 अक्टूबर 2025 तक) डी.ए.पी. — बस्ती: 11,074 मीट्रिक टन संतकबीरनगर: 8,289 मीट्रिक टन
सिद्धार्थनगर: 9,431 मीट्रिक टन
एन.पी.के. —बस्ती: 6,237 मीट्रिक टन ,संतकबीरनगर: 3,989 मीट्रिक टन सिद्धार्थनगर: 7,916 मीट्रिक टन
यूरिया — बस्ती: 17,353 मीट्रिक टन
संतकबीरनगर: 13,325 मीट्रिक टन
सिद्धार्थनगर: 13,637 मीट्रिक टन , बस्ती
संयुक्त कृषि निदेशक राम बचन राम ने कहा
“किसान भाइयों को किसी भी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। मंडल के सभी जनपदों में खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। हमारे अधिकारियों की टीमें निरंतर आपूर्ति की निगरानी कर रही हैं ताकि किसानों को समय पर उर्वरक मिल सके।”
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे डी.ए.पी. पर पूरी तरह निर्भर न रहें, बल्कि मिट्टी की स्थिति और फसल की जरूरत के अनुसार वैकल्पिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें। इससे फसलों की उत्पादकता बढ़ेगी और मिट्टी की सेहत भी दीर्घकाल तक बनी रहेगी।
“संतुलित उर्वरक उपयोग से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है, मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और किसानों को दीर्घकालिक लाभ मिलता है।”

ज्ञान चन्द एडिटर सार्थक टाइम्स

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