लखनऊ: कृष्णानगर
राजधानी लखनऊ में जमीन दिलाने के नाम पर आम जनता से करोड़ों रुपये की ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया है। ड्रीम्ज़ इंफ्रा डेवलपर्स नाम की एक प्राइवेट रियल एस्टेट कंपनी पर आरोप है कि उसने बीते 3 से 4 वर्षों के भीतर सैकड़ों लोगों से प्लॉट बुकिंग और आशियाने के सपने दिखाकर कई-लाख रुपये वसूले, लेकिन न जमीन दी गई, न रजिस्ट्री कराई और न ही पैसे लौटाए गए।
कंपनी का दावा था कि वह लखनऊ और उसके आसपास की जमीनों पर किफायती प्लॉट उपलब्ध करा रही है। लुभावने विज्ञापन, बड़े-बड़े होर्डिंग्स और मीठे वादों के जरिए लोगों को फंसाया गया। होर्डिंग्स में लिखा रहता था – “अब लखनऊ में अपना घर बनाना हुआ आसान” लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग निकली।
लोगों की शिकायतें:
कई लोगों ने बताया कि उन्होंने 1 लाख से लेकर 10 लाख तक कंपनी को दिए, कंपनी ने वादा किया कि 6 महीने में रजिस्ट्री हो जाएगी या पैसा वापस मिलेगा। लेकिन जब एक साल बीत गया, फिर दो और अब तीन-चार साल हो चुके हैं, न प्लॉट मिला, न पैसा वापस।
जब भी लोग कंपनी के दफ्तर में जाते हैं, उन्हें बहलाया जाता है—
“एक महीने में पेमेंट हो जाएगा।”
“अगली मीटिंग में डायरेक्टर मिलेंगे।”
“अभी दस्तावेज़ पूरे नहीं हैं, थोड़ा इंतज़ार कीजिए।”
लेकिन हर बार यही बात दोहराई जाती है और लोग चक्कर काटते रहते हैं।
कंपनी की रणनीति पर सवाल:
यह स्पष्ट होता जा रहा है कि ड्रीम्ज़ इंफ्रा जैसी कंपनियां सुनियोजित तरीके से गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को निशाना बना रही हैं, जो अपनी जिंदगी की जमा पूंजी लगाकर एक छोटा सा घर बनाने का सपना देखते हैं।
प्रशासन की चुप्पी चिंता का विषय:
सबसे बड़ी बात यह है कि इतने लोगों की शिकायतों और इतने वर्षों की ठगी के बावजूद, अब तक प्रशासन की ओर से कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। क्या ऐसे फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनियों को खुला छोड़ना चाहिए?
क्या गरीबों के सपनों की कोई कीमत नहीं?
जमीन के नाम पर ऐसी धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों पर क्या कार्रवाई होगी? क्या रियल एस्टेट सेक्टर में कोई निगरानी तंत्र है या हर कोई खुलकर ठगी कर सकता है?
अगर सरकार और प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो लखनऊ जैसे बड़े शहर में जमीन और घर खरीदना आम आदमी के लिए केवल एक सपना बनकर रह जाएगा। ऐसे में जरूरत है कि जनता सतर्क रहे, और साथ ही प्रशासन इन मामलों में कानूनी कार्रवाई कर ठगों को सजा दिलवाए।
विशाल कुमार चौधरी