उत्तर प्रदेश प्रदेश सरकार का ऐतिहासिक फैसला
लखनऊ
आउटसोर्स कर्मचारियों को मिलेगा ESI, EPF, पेंशन और मेडिकल लीव का लाभ – बनेगा “आउटसोर्स सेवा निगम”
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में कार्यरत लाखों आउटसोर्स कर्मचारियों के हित में एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी फैसला लिया है। सरकार ने घोषणा की है कि जल्द ही “उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम” का गठन किया जाएगा, जिसके अंतर्गत राज्य में सभी विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती, वेतन, अवकाश और अन्य सेवाएं अब एक तयशुदा और पारदर्शी प्रणाली के तहत संचालित होंगी।
यह कदम उन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो वर्षों से ठेके पर काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह न तो लाभ मिलते थे और न ही सुरक्षा। इस फैसले के मुख्य लाभ?
सरकार के इस निर्णय के तहत आउटसोर्स कर्मचारियों को अब निम्नलिखित सुविधाएं मिलेंगी:
180 दिन की मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) – महिला कर्मचारियों को मातृत्व के दौरान पूर्ण वेतन सहित छुट्टी का लाभ मिलेगा।
ESI योजना के अंतर्गत मुफ्त इलाज – कर्मचारी अब ESI अस्पतालों में निशुल्क चिकित्सा सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे। पेंशन सुविधा – सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें पेंशन का लाभ मिलेगा, जिससे भविष्य सुरक्षित होगा।
आकस्मिक और मेडिकल अवकाश – बीमार पड़ने या विशेष परिस्थितियों में भी उन्हें छुट्टी के साथ वेतन मिलेगा। EPF और ESI का लाभ – भविष्य निधि (PF) और कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) के अंतर्गत वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। क्या होगा “आउटसोर्स सेवा निगम”? यह एक केंद्रीकृत निकाय होगा जो राज्य के विभिन्न विभागों, बोर्ड, निगमों और एजेंसियों में आवश्यकतानुसार आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति करेगा। इससे एक ओर नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, वहीं दूसरी ओर श्रमिकों को उनका हक बिना किसी बिचौलिये के मिलेगा।
कर्मचारियों में खुशी की लहर
सरकारी घोषणा के बाद प्रदेश भर के आउटसोर्स कर्मचारी इस फैसले से बेहद उत्साहित हैं। वर्षों से उपेक्षित और असुरक्षित महसूस कर रहे इन कर्मचारियों को अब सरकार की मुख्यधारा में शामिल होने का मौका मिलेगा। हालांकि सरकार के इस कदम की व्यापक सराहना हो रही है, लेकिन कुछ विपक्षी दलों ने इसे लोकसभा चुनाव से जोड़कर ‘राजनीतिक घोषणा’ बताया है।
योगी सरकार का यह फैसला न केवल लाखों श्रमिकों के जीवन में बदलाव लाएगा, बल्कि यह संदेश भी देगा कि अस्थायी कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए भी सरकार गंभीर है।